तुम (Tum) – Hindi Poem by Dr. Anuradha Sharma

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तुम
कहाँ खो गई तुम
बहुत धुन से ढूँढा
पर ना पाया कहीं |
दिल ने कहा,तुम
खोई होगी गहन
रंगों की दुनिया में |
कैनवास पर उकेरती
होगी कुछ दबा-दबा
बहता जो साँसो में |
समेटती होगी बिखरे
अनकहे बोलों और
निशब्द एहसासों को |
होगी मसरूफ रंगों,
बच्चों, किताबों, और
जीने के अंदाज़ों में |
बनाती होगी आकृति
अपने संघर्ष, पीड़ा
में लिपटे दौर की |
आकार,रूप, रंग देती
गढ़ती होगी पुनः नये
खामोश सवालों को |
बुनती होगी हो मगन
आत्मविश्वास,आशा से
मनके उलझें तारों को |
सदा मुस्कुराती तुम
करो पूरा ख्वाबों में ओझल
धुंदली-धुंदली तस्वीरों को |
दो कोई नाम और मुकाम
लकीरों में सोई, सच्ची
बेखौफ तकदीरों को|
अस्तित्व के प्रतीक
सब तुम्हारे ही सपने हैं
केवल तुम्हारे अपने हैं |
करो पूरा इनको
अपना परिचय देकर
बन जाओ बेमिसाल तुम
भरकर जीवन ख्वाबों में |
क्योंकि
कोरी मर्यादाओं से परे
संसार की तुलिका को
रंगीन बनाने वाली
तुम ही हो
तुम ही हो|

महिला दिवस की शुभ कामनाएँ

डॉ • अनुराधा शर्मा
हिंदी अध्यापिका
ज़िला पठानकोट
पंजाब |