कौन हो तुम ? (Who are you?)

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कौन हो तुम ?
अभिलाषाओं के आँगन में रहकर
अगाध प्रेम स्नेह बरसाती रही ||
हृदय वीणा के तार झंकृत कर
अधरों पर मीठे राग सजाती रही ||

कौन हो तुम ?
सोंधी मिट्टी की खुशबू सम
मानव मन को सुहाती रही ||
पावन, पवित्र सी जल तरंग तुम
वाणी मीठे बोलों से गर्वित करती रही ||

कौन हो तुम ?
अनेक अर्थों में जीवन की पगडंडी बनी
गगर में सागर भरती रही ||
इतिहास की प्राचीर से पताका थामे
स्वर्णिम ज्योति स्वतंत्रता प्रकाश फैलाती रही ||

कौन हो तुम?
जन -जन को जोड़ती माला पिरोती
स्वयं धीरे -धीरे शिथिल होती रही ||
मानव प्रगति की प्रसन्नता में तुम
निरंतर निराशा के गर्त में समाती रही ||

क्या तुम वाणी की चेतना का स्वरूप हो?
क्यों फिर आज अपने ही घर से दूर हो?
वरदान हर भारत वासी के आज का तुम |
क्यों श्रापित भटकने को मजबूर हो?

है कौन कारण तुम्हारे आज का?
कौन तुम्हें तुम्हारे घर लाएगा?
कौन हृदय आसन पर बिठाएगा ?
है कौन तुम्हें पुनः मुकुट पहनाएगा?

हिंदी दिवस प्रत्येक वर्ष आएगा
कोई तुम्हारा राग,अलाप गायेगा ||
बेटों में शेष प्रपंच रह जाएगा ?
माँ कोई तेरा मौन सुन पाएगा ?

या केवल
कौन हो तुम?दोहराया जाएगा
कौन हो तुम?दोहराया जाएगा ||

डॉ • अनुराधा शर्मा
(हिंदी अध्यापिका)
ज़िला पठानकोट
पंजाब

Kaushal.anu9@gmail.com